जिंदगी आसान नहीं होती,
इसे आसान बनाना पड़ता है…..
..कुछ ‘अंदाज’ से,
कुछ
‘नजर अंदाज ‘से!! 🍁
जिंदगी आसान नहीं होती,
इसे आसान बनाना पड़ता है…..
..कुछ ‘अंदाज’ से,
कुछ
‘नजर अंदाज ‘से!! 🍁
अच्छे दिन बदल गए,
तो बुरे दिन भी बदल जाएँगे …
थोड़ा धीरज रख तू,
सारे हालात संभल जाएँगे …
या तो बरस जाने दे बादल,
या हवा का इन्तजार कर शांति से …
असीमित गम के बादल,
सुख की धूप में टल जाएँगे …
धरती घूमती है हमेशा,
और मौसम बदलते रहते हैं यूँ ही …
तपते, जलाते, गर्म, सर्द,
सब दिन और मौसम बदल जाएँगे …
दरवाजा बंद कर,
और बिना आवाज थोड़ा रो ले …
आंसुओं के साथ,
सब दुःख दर्द पिघल जाएँगे …
पितृपक्ष में मांग माफ़ी पितरों से,
देवों से, दोस्तों और दुशमनों से भी …
सबका भला कर,
तेरे पुण्य कर्म तेरी खुशियों में ढ़ल जाएँगे॥
अच्छे दिन बदल गए,
तो बुरे दिन भी बदल जाएँगे …
थोड़ा धीरज रख तू,
सारे हालात संभल जाएँगे …
या तो बरस जाने दे बादल,
या हवा का इन्तजार कर शांति से …
असीमित गम के बादल,
सुख की धूप में टल जाएँगे …
धरती घूमती है हमेशा,
और मौसम बदलते रहते हैं यूँ ही …
तपते, जलाते, गर्म, सर्द,
सब दिन और मौसम बदल जाएँगे …
दरवाजा बंद कर,
और बिना आवाज थोड़ा रो ले …
आंसुओं के साथ,
सब दुःख दर्द पिघल जाएँगे …
पितृपक्ष में मांग माफ़ी पितरों से,
देवों से, दोस्तों और दुशमनों से भी …
सबका भला कर,
तेरे पुण्य कर्म तेरी खुशियों में ढ़ल जाएँगे॥
***** बहुत सुंदर पंक्तियाँ *****
“रहता हूं किराये की काया में,
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं…!
–
मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी,
बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं…!
–
जल जायेगी ये मेरी काया ऐक दिन,
फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूं…!
–
मुझे पता हे मैं खुद के सहारे श्मशान तक भी ना जा सकूंगा,
इसीलिए मैं दोस्त बनाता हूँ …!!”😊😊
सबके हिस्से गम
या खुशी का उपहार आता है …
हे राम तेरे किए मैनेजमेंट पर
मुझे प्यार आता है …
कुछ आँखों में आँसू
तो किन्ही होठों पर मुस्कान …
जैसा भी तू करता है फैसला,
दमदार आता है …
सूखी धरती पर
उग आते हैं हरियाले खेत …
बारिश की बूंदों में
जब तेरा अवतार आता है …
बदलती हैं बहारें
तो नहीं रहते पतझड़ भी सदा …
कभी शीतल हवा
तो कभी मेघ धारदार आता है …
जब दुश्मन बन
झुलसाती है गर्मी जून में …
तो तू बैठ कर बादलों पर,
बनके यार आता है॥
✨🙏🏻✨
एक शादीशुदा की दुखी कलम से योग दिवस 😂😂😂😂😂😂😂
योग दिवस को मैं कुछ इस तरह से मना रहा हूँ,
रात उसके पैर दबाए थे अब पोछा लगा रहा हूँ।
धो रहा हूँ बर्तन और बना रहा हूँ चपाती,
मेरे ख्याल से यही होती है कपालभाति।
एक हाथ से पैसे देकर, दुजे हाथ में सामान ला रहा हूँ मैं,
और इस प्रक्रिया को अनुलोम विलोम बता रहा हूँ मैं।
सुबह से ही मैं घर के सारे काम कर रहा हूँ,
बस इसी तरह से यारो प्राणायाम कर रहा हूँ।
मेरी सारी गलतियों की जालिम ऐसी सजा देती हैं,
योगो का महायोग अर्थात मुर्गा बना देती हैं।
हे मोदी, हे रामदेव अगर आप गृहस्थी बसाते,
तो हम योग दिवस नहीं पत्नी दिवस मनाते।
😭😭😭😭😭😭 एक शादीशुदा की ‘दुखी’ कलम से ✒
# yogaday
#internationalyogaday